देश की आजादी के बाद भारत सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि आयोगों के गठन हैं । आलम यह है की सरकार यदि हंसने, रोने, छींकने आदि-आदि विषयों पर भी कोई आयोग बना दे तो भी जनता को कोई खास आश्चर्य नहीं होगा । ऐसे में उच्च शिक्षा के नियमन और निर्देशन के लिए एक आयोग का होना आश्चर्य की बात नहीं । संयोग से उसका गठन भी बहुत पहले हो चुका है और यह आयोग तमाम छोटे-बड़े काम कर भी रहा है । उनमें से कुछ की जानकारियाँ सामान्य जन को हैं कुछ की नहीं । भारत के उच्च शिक्षित युवाओं के लिए इसकी सबसे अधिक उपयोग िता या प्रासंगिकता यूजीसी, नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा ) के कारण है । मुझे याद है अपने छात्र-जीवन में हम उन तिथियों का इंतजार करते थे जब कि नेट की विज्ञप्ति आती, उसकी परीक्षा होती या उसके परिणाम आते थे । इसी क्रम में कभी पता लगता कि यूजीसी ने अचानक बहुत से लोगों को एकमुश्त छूट दे दी है और पहले से पात्रता अर्जित कर चुके अभ्यर्थियों में नई योग्यता वाले अभ्यर्थियों का एक रेला आ जुड़ता । तर्क यह कि पदों की तुलना में योग्य पात्रों की कमी है। मैं यह निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि इसका परिणाम भीड़ बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं...
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