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भारत विकास का चीन वाला मॉडल अपना रहा है

पिछले दिनों राजनीतिक गलियारों में दो मुद्दे खास चर्चा में रहे। एक मुद्दा प्रधानमंत्री की चीन यात्रा का था, जिसपर कांग्रेस अध्यक्ष समेत तमाम प्रतिपक्षी पार्टियों ने आपत्ति की और सवाल उठाए थे और दूसरा मुद्दा था लालकिला, जिसपर बीबीसी के रास्ते सरकार को सफाई देनी पड़ी। ये दोनों मुद्दे नितांत अलग हैं। एक अंतराष्ट्रीय राजनीति का है और दूसरा सरकार की सांस्कृतिक और आर्थिक नीतियों से जुड़ा है। इसी के साथ एक तीसरा मुद्दा भी लेते हैं जो अकादमिक दुनिया के गलियारों में काफी हलचल और ऊहापोह मचाने वाला रहा है। ये तीनों एक खास दृष्टि से संवेदनशील और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इनके आपसी समबद्धों की पड़ताल से हम वर्तमान सरकार की भावी योजनाओं को समझने की दृष्टि पा सकते हैं । प्रधानमंत्री की चीन यात्रा का उद्देश्य अनौपचारिक मैत्री यात्रा थी। ऐसा नहीं कि भारत और चीन के बीच सब सुलझ गया हो और दोनों गलबहियां डाले साथ-साथ चलने के लिए प्रतिबद्ध हो गए हों, पर इतना तो हुआ ही कि  तमाम प्रश्नवाचकों को परे धकेलते हुए दोनों देशों के राजनीतिक प्रमुखों ने आपस में मिलने का साहस किया या इच्छा जताई। आखिर क्यों ? ह...

अनौपचारिक होते हुए भी क्यों बेहद ज़रूरी है पीएम मोदी का चीन दौरा

भारत के प्रधानमंत्री माननीय मोदी वर्तमान में चीन के अनौपचारिक दौरे पर हैं।  यह पूर्व घोषित तथ्य है कि इसमें प्रत्यक्ष कुछ हासिल नहीं होने वाला है, कोई समझौता नहीं होगा।  इसलिए इस दौरे को लेकर ना जनता में उतना उत्साह है और न मीडिया में। भारत और चीन जैसे दो बड़े देशों, पड़ोसी देशों, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं और एशिया महाद्वीप की स्थिरता को बनाए रखने के लिए उत्तरदायी देशों की यह मुलाकात फिर भी मायने रखती है । लेकिन, भारतीय प्रधानमंत्री का अचानक अनौपचारिक पाकिस्तान दौरे की कहानी मीडिया से लेकर सोशल मीडिया के लिए जितना आकर्षण का केंद्र बनी थी, उतना उनका यह दौरा नहीं है।  इसके पीछे भारतीय मानस में पाकिस्तान के प्रति बैठी हुई गहरी दुश्मनी है, जिसे मीडिया बार-बार उकसाता रहा है।  संबंध भारत-चीन के बीच भी प्रायः तनावपूर्ण ही रहे हैं। हम एक युद्ध भी लड़ चुके और बार-बार युद्ध के तनाव भी झेल चुके हैं, फिर भी भारतीयों के भीतर चीन के प्रति वह दुश्मनी का भाव नहीं है। सामाजिक माध्यमों पर तमाम नारों और बहिष्कार के पोस्टरों के बावजूद यह भ्रम ही साबित हुआ है कि भारत की जनता चीनी मा...