भारत के प्रधानमंत्री माननीय मोदी वर्तमान में चीन के अनौपचारिक दौरे पर हैं। यह पूर्व घोषित तथ्य है कि इसमें प्रत्यक्ष कुछ हासिल नहीं होने वाला है, कोई समझौता नहीं होगा। इसलिए इस दौरे को लेकर ना जनता में उतना उत्साह है और न मीडिया में। भारत और चीन जैसे दो बड़े देशों, पड़ोसी देशों, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं और एशिया महाद्वीप की स्थिरता को बनाए रखने के लिए उत्तरदायी देशों की यह मुलाकात फिर भी मायने रखती है । लेकिन, भारतीय प्रधानमंत्री का अचानक अनौपचारिक पाकिस्तान दौरे की कहानी मीडिया से लेकर सोशल मीडिया के लिए जितना आकर्षण का केंद्र बनी थी, उतना उनका यह दौरा नहीं है। इसके पीछे भारतीय मानस में पाकिस्तान के प्रति बैठी हुई गहरी दुश्मनी है, जिसे मीडिया बार-बार उकसाता रहा है। संबंध भारत-चीन के बीच भी प्रायः तनावपूर्ण ही रहे हैं। हम एक युद्ध भी लड़ चुके और बार-बार युद्ध के तनाव भी झेल चुके हैं, फिर भी भारतीयों के भीतर चीन के प्रति वह दुश्मनी का भाव नहीं है। सामाजिक माध्यमों पर तमाम नारों और बहिष्कार के पोस्टरों के बावजूद यह भ्रम ही साबित हुआ है कि भारत की जनता चीनी मा...