अमेरिका, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गर्व है, अक्सर विश्व राजनीति में सबसे कम लोकतांत्रिक देश के रूप में देखा जाता है। भले ही अमेरिकी लोकतांत्रिक व्यवस्था में रंगभेद, नस्लभेद और क्षेत्रवाद निषिद्ध हों, लेकिन ये बातें वहां के समाज में आज भी गहराई तक जड़ें जमाए हुए हैं। अमेरिका की नीतियों में तीसरी दुनिया के तमाम देशों को हमेशा कमतर आंकने की प्रवृत्ति नजर आती है। भारत, अपनी धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के कारण, विश्व राजनीति के केंद्र में रहा है। चाहे वह गुलामी का दौर हो या प्राचीन काल, भारत हमेशा एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक भूमिका में रहा है। यूरोपीय देशों का भारत से प्रत्यक्ष संपर्क उसकी भौगोलिक दूरी के कारण बहुत बाद में हुआ, जबकि अरब साम्राज्य और व्यापारियों के माध्यम से यह संपर्क पहले से स्थापित था। अमेरिकी सभ्यता, जो यूरोपीय संस्कृति और विचारों का विस्तार मात्र है, अपने संस्कारों में नस्लभेद का प्रतिनिधित्व करती है। उपनिवेशवाद का युग भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय मानसिकता आज भी विश्व को अपने नियंत्रण में रखने की सोच रखती है। भारत-अम...
समाज, संस्कृति, साहित्य और विश्व-निति का वर्तमान